लेखनी प्रतियोगिता -24-May-2022
महकता सपना
मैं भी आख़िर फूल बनूँगी
मंद मंद मुसकाऊँगी
जो भी पास मेरे आएगा
उसको में महकाऊँगी
कल देखा था मैंने सपना
अंबर पर काले बादल थे
बारिश की निर्मल बूँदे थी
फूलों की सजी क्यारी थी
एक कुसुम की बेल लगी थी
मनमोहक सुंदर फूल खिले
आसमाँ की तरफ़ निहारे
धरती पर जैसे इंद्रधनुष मिले
बड़े जतन से तप करते
कुछ भवेरे भी मुझे दिखे
वही पास में तितली देखी
इठला के फूलो पे सजे हुए
कुछ परिंदे भी मुझे दिखे थे
नभ पे अजब प्रेम संगीत बजे
एक म्यूर का जोड़ा भी था
नृत्य की अद्भुत कला लिए
सब ख़ुशी से झूम रहे थे
मिलकर साथ में घूम रहे थे
बिना क़सम के बिना रस्म के
बस जीवन के इस पहलूँ को
प्रेम भरे मन मंदिर के जैसे
बिना शर्त के बिना बोझ के
खुल कर जी भर भोग रहे थे
इतनी ख़ुशियाँ इतना समर्पण
बिना कहे हर आस का तर्पण
ये कैसा संजोग दिखा था
फूलो सा दिल मेरा खिला था
एक सोच को मान सही
में फूलो की और बढ़ी
सोचा ख़ुशियाँ घर ले आऊँ
इन्हें तोड़ कर घर अपना सजाऊँ
जैसे सुंदर रूप है इनका
सुंदर कोमल इनकी काया है
इतनी ख़ुशियाँ जो बिखरी है
इन फूलो की ग़ज़ब हस्ती है
मेरा घर भी खिल जाएगा
इनके साथ से प्रेम मिलेगा
हर कोना फिर मुसकाएगा
यही सोच को मान सही
में फूलो की और बढ़ी
हाथ बढ़ा कर झट से तोड़ा
लिए ख़ुशी से टूटे फूल
मैं सब गयी स्वार्थ में भूल
लेकर इनको झूम रही थी
इनको ही तो डूँड़ रही थी
नजाने कब से जीवन मैं
दुःख से विचलित मैं होकर ही
मन मैं पीड़ा कुण्ठा भरकर
जीवन रथ को व्याकुलता से
बड़े जतन से खींच रही थी
समझ इन्हें दुःख से मुक्ति
लिए हाथ मैं सुंदर फूल
मैं पहूँच गयी घर सब कुछ भूल
पर ये क्या , ये क्या मैंने कर डाला
इन फूलों की महक छीन ली
इनके सुंदर अस्तित्व को रौंधा
विस्मित किया इनकी काया को
ये गुच्छा तो मुरझाया है
बिना चमन के बिना प्रेम के
बिना कोई अपराध किए भी
स्वार्थ मेरे से भरमाया है
हाय ये क्या मैंने कर डाला
क्यू ना समझा इनके जीवन को
जीवन इनका देना ख़ुशियाँ
बिना किसी अनमोल वचन के
आँख मेरी में पछतावा था
दिल में बिना शूल भी दर्द छिपा था
चिंता और अपराध बोध से
मेरा पल पल विचलित बड़ा था
बस इस छटपटाह में ही मेरीआँख खुली
देखा इधर उधर घबरा कर
फिर राहत की साँस भरी
फिर से ख़ुशी से मैं महक पड़ी
झट से हाथ प्रभु को जोढ़े
शुक्र मनाया इस सपने का
आज असलियत में ये जाना
प्रेम है होता बिना शर्त की पाबंदी के
त्याग समर्पण इसकी महक है
लिए उदाहरण पुष्प जीए है
तभी वचन खुद से कर डाला
हाँ मैं भी बस फूल बनूँगी
मंद मंद मुसकाऊँगी
जो भी पास मेरे आएगा
उसको में महकाऊँगी
तमन्ना
Gunjan Kamal
25-May-2022 04:11 PM
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति अंबिका
Reply
Tamanna Angels Angels are coming to bless you
27-May-2022 02:18 PM
Thankyou
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Tamanna Angels Angels are coming to bless you
27-May-2022 02:18 PM
Thankyou
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Seema Priyadarshini sahay
25-May-2022 01:50 PM
बहुत खूबसूरत
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Shrishti pandey
25-May-2022 12:54 PM
Nice
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